ज्योतिष आखिर क्या है ?
ज्योतिष विषय एक ऐसा
विषय है जिसको समझना असान नही है! केवल इसमें नव ग्रहों ( सूर्य चन्द्र मंगल बुध
गुरु(ब्रहस्पति) शुक्र शनी राहू केतु ) , बारह राशि ( मेष, वृष, मिथुन, कर्क,
सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मिन ) में अलग अलग स्थान में बैठ के
अलग अलग व्यक्तियो पर अलग अलग प्रभाव डालते है! इसमें एक कुंडली बनाई जाती है
जिसका आधार जिस व्यक्ति की कुंडली बनानी है उसका जन्मदिन जन्म का समय व जन्म का
स्थान ये तीन चीज़े होनी चाहिए, मै यहा बताना चाहता हू की जन्म स्थान का हम आक्षांश रेखांश लेते है जैसे की किसी का जन्म वाराणसी शहर में हुआ होगा तो वाराणसी का
आक्षांश 25.20 रेखांश 83.00 है जो
की वो मध्य वाराणसी का है यदि किसी का जन्म वाराणसी के दक्षिण में हुआ होगा तो वही
आक्षांश 25.20 रेखांश 83.00 में कुछ
दशमलव के अंको में अंतर आएगा जिसके प्रभाव से ही सभी की कुंडली में कुछ अंतर होगा
जो सामान्य रूप से समझ नही आएगा लेकिन सूक्ष्म अध्यन से वो पता चलेगा और लोगो के
भाग्य व सभी चीज़े अलग अलग होगी! ज्योतिष में इन्ही का अध्यन किया जाता है!
कैसे जाने अपना भाग्य ?
ज्योतिष विज्ञान में
कुंडली बनाने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है जिसकी विश्वनीयता सही होनी
चाहिए! पंचांग में ग्रहों की दैनिक चाल व नक्षत्र का ज्ञान होता है, इन्ही से
इन्सान की कुंडली बनती है जिसमे लग्न व अन्य भाव होते है जो कुल बारह भाव ही है
इनमे ग्रह पंचांग के अनुसार स्थिति में होते है व नक्षत्र से ही हमे महादशा का पता
चलता है जिससे कोई भी ज्योतिषाचार्य ग्रहों को व महादशा अन्तर्दशा प्रत्यंतर दशा
इत्यादि देख के भविष्य बताते है!
इसकी वृस्तित
जानकारी जल्द उपलब्ध करवाई जाएगी ! व इस ब्लॉग के द्वारा मै कुंडली बनाना व कुंडली
देखना व कुंडली के दोष व अन्य योग का भी विस्तार से वर्णन करूँगा!
धन्यवाद.......
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी! आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा! व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........
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Nice
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