Saturday, August 25, 2018

क्या होता है वार? व क्या क्या संज्ञा होती है वारो की?

क्या होता है वार? व क्या क्या संज्ञा होती है वारो की?

क्या होता है वार?
जिस दिन कि प्रथम होरा का जो ग्रह स्वामी होता है, उस दिन उसी ग्रह के नाम का वार रहता है|

अभिप्राय यह है कि ज्योतिषशास्त्र में शनि, ब्रहस्पति, मंगल, रवि, शुक्र, बुध, और चन्द्रमा – ये ग्रह एक-दूसरे से निचे-निचे माने गये है, अर्थात सबसे ऊपर शनि, उससे नीचे ब्रहस्पति, उससे नीचे मंगल, मंगल के नीचे रवि इत्यादि क्रम से ग्रहों कि कक्षाएँ है|

एक दिन में 24 होराएँ होती है- एक-एक घण्टे की एक-एक होरा होती है| दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है की घण्टे का दूसरा नाम होरा हैप्रत्येक होरा का स्वामी अध्: कक्षाक्रम से एक-एक ग्रह होता है|

सृष्टि आरम्भ में सबसे पहले सूर्य दिखलाई पड़ता है, इसलिए 1ली होरा का स्वामी माना जाता हैअतएव 1ले वार का नाम आदित्यवार या रविवार है| इसके अनन्तर उस दिन की 2री होरा का स्वामी उसके पास वाला शुक्र, 3री होरा का स्वामी बुध, 4थी होरा का स्वामी चन्द्रमा, 5वी होरा का स्वामी शनि, 6ठी होरा का स्वामी ब्रहस्पति, 7वी होरा का स्वामी मंगल, 8वी होरा का स्वामी रवि, 9वी होरा का स्वामी शुक्र, 10वी होरा का स्वामी बुध, 11वी होरा का स्वामी चन्द्रमा, 12वी होरा का स्वामी शनि, 13वी होरा का स्वामी ब्रहस्पति, 14वी होरा का स्वामी मंगल, 15वी होरा का स्वामी रवि, 16वी होरा का स्वामी शुक्र, 17वी होरा का स्वामी बुध, 18वी होरा का स्वामी चन्द्रमा, 19वी होरा का स्वामी शनि, 20वी होरा का स्वामी ब्रहस्पति, 21वी होरा का स्वामी मंगल, 22वी होरा का स्वामी रवि, 23वी होरा का स्वामी शुक्र, 24वी होरा का स्वामी बुध होता है|

Sura-Hora

इसके बाद दूसरे दिन की पहली होरा का स्वामी चन्द्रमा पड़ता है, अतः दूसरा वार सोमवार या चन्द्रवार माना जाता है|

इसी प्रकार तीसरे दिन की पहली होरा का स्वामी मंगल पड़ता है, अतः तीसरा वार मंगलवार माना जाता है|

इसी प्रकार चौथे दिन की पहली होरा का स्वामी बुध पड़ता है, अतः चौथा वार बुधवार माना जाता है|

इसी प्रकार पाचवें दिन की पहली होरा का स्वामी ब्रहस्पति पड़ता है, अतः पांचवा वार ब्रहस्पतिवार या गुरुवार माना जाता है|

इसी प्रकार छठे दिन की पहली होरा का स्वामी शुक्र पड़ता है, अतः छठवा वार शुक्रवार माना जाता है|

इसी प्रकार सातवे दिन की पहली होरा का स्वामी शनि पड़ता है, अतः सातवाँ वार शनिवार माना जाता है|

इसलिए क्रमश: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, ब्रहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार - ये वार माने जाते है|

क्या क्या संज्ञा होती है वारो की?
ब्रहस्पतिवार, सोमवार, बुधवार और शुक्रवार- ये वार सौम्यसंज्ञक एवं मंगलवार, रविवार और शनिवार- ये वार क्रूर-संज्ञक माने गये है| सौम्यसंज्ञक वारो में शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है|

रविवार स्थिर, सोमवार चर, मंगलवार उग्र, बुधवार सम, गुरुवार लघु, शुक्रवार मृदु एवं शनिवार तीक्ष्णसंज्ञक है| शल्यक्रिया के लिए शनिवार उत्तम मन गया है| विधारम्भ के लिए गुरुवार और वाणीज्यारम्भ के लिए बुधवार प्रशस्त माना गया है|

मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा! व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........

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