क्या होता है वक्री ग्रह? व क्या क्या होते है वक्री ग्रह के प्रभाव?
क्या होता है वक्री ग्रह?
ग्रहों की गति धरती
के सापेक्ष नापी जाती है, ग्रह धरती के चारो ओर घड़ी की सुई की दिशा में घूमते है यह परिकल्पना की गई, इस घूर्णन को ग्रहों
की मार्गी गति कहा गया| जब घूमते घूमते कोई ग्रह धरती के नजदीक आ जाता है
उस समय नजदीक आने के बाद जब धरती उस ग्रह से आगे निकलती है तो धरती के सापेक्ष वह ग्रह
घडी की सुई की उल्टी दिशा में जाता प्रतीत होता है तब इसे ग्रह की उल्टी चाल या वक्री चाल
या वक्री ग्रह कहा जाता है|
सूर्य तथा चंद्रमा कभी भी वक्री नही होते है, क्युकी सूर्य व चन्द्रमा धरती के सापेक्ष सदैव घड़ी की सुई की
दिशा में घूमते है| एवं राहु तथा केतु कभी मार्गी नही होते है, क्युकी राहु तथा केतु धरती के सापेक्ष घडी की सुई की उल्टी दिशा में घूमते है| अन्य ग्रह कभी वक्री तथा कभी मार्गी होते रहते है|
क्या क्या होते है वक्री ग्रह के प्रभाव?
जैसा की हमने बताया है की सूर्य, चन्द्रमा कभी वक्री नही होते है व राहू, केतु कभी मार्गी नही होते है| अत हम यहा उन ग्रहों की बात करेंगे जो कभी वक्री व कभी मार्गी होते है वे सभी ग्रह मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि है|
मंगल :-
वक्री मंगल से प्रभावित व्यक्ति शीघ्र क्रोधी, चिडचिडा तथा उतेजित होने वाला होता है और जो कार्य शुरू किए हुए है तभी पुरे होते है, जब मंगल का वक्रत्व समाप्त होता है| वक्री मंगल वाले व्यक्ति प्रायः डाक्टर, वैज्ञानिक या रहस्यमय विधाओ के ज्ञाता होते है| वे ऐसे कार्यों में लगे रहते है जिनमे कम से कम शक्ति का उपयोग करना पड़ता है| वक्री मंगल से प्रभावित मजदुर कार्य करने के बजाय हड़ताल पर रहना पसंद करते है| उनकी मानसिक प्रवृति कामचोर की सी होती है|
बुध :-
जिन लोगो का बुध जन्म कुण्डली में वक्री होता है वे अंतरदृष्टि की भाषा समझते है| ऐसे व्यक्ति धीमे स्वभाव तथा मुसीबत में घबरा जाने वाले होते है| जब गोचर में वक्री बुध होता है तो इनकी अंतरदृष्टि आश्चर्यजनक तरीके से तेज हो जाती है जिससे ये समाज की समस्याओ का आश्चर्यजनक तरीके से हल निकाल लेते है| वक्री बुध से प्रभावित ज्योतिषी वक्री बुध के गोचरस्थ काल में ठोस और सटीक फलादेश नही कर पाता है|
गुरु :-
वक्री गुरु शुभ फल प्रदान करता है ऐसी कुण्डली वाले व्यक्ति अद्भुत क्षमता और विलक्षण शैली वाले होते है| ऐसे व्यक्ति अधूरे कार्यों को पूरा करते करते है ये बंद प्लांट या फैक्ट्रियो को पुनः नए सिरे से गति दे कर शुरू करते है| वक्री गुरु के गोचर काल में ऐसे व्यक्तियों की क्षमता बढ़ जाती है और इस समय में जो भी कार्य हाथ में लेते है उसे पूर्ण अवस्य कर लेते है|
शुक्र :-
वक्री शुक्र वाले जातक धार्मिक होते है तथा धार्मिक संस्कारो के प्रति जागरूक होते है| धर्म के मामले में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण इन्हें लोकप्रिय बनाता है| वक्री शुक्र के गोचर काल में ऐसे व्यक्ति सत्य वक्ता एवं कटु हो जाता है| घर गृहस्थी से मन उचटने लगता है| वक्री शुक्र में जातक में भावुकता बढ़ जाती है यदि प्यार स्नेह या सम्मान नही मिला तो विद्रोह की भावना जाग्रत होने लगती है| वक्री शुक्र के व्यक्ति यदि कलाकार, संगीतज्ञ या कवी या ज्योतिषी है तो इनकी सृजनात्मकशक्ति बढ़ जाती है|
शनि :-
वक्री शनि व्यक्ति को महत्वकांक्षी बनाता है| शनि के वक्री गोचरत्व काल में व्यक्ति शंकालु, शक्की स्वभाव के कारण आत्मीय जनो एवं सच्चे मित्रों को भी अपना शत्रु मान लेता है और व्यक्ति स्वार्थी बन जाता है| वक्री शनि से प्रभावित व्यक्ति ऊपर से साहसी, कठोर, सिद्धांतवादी तथा अनुशासन प्रिय होने का दम्भ करते है परन्तु अंदर से खोखले, डरपोक तथा लचीले स्वभाव के होते है|
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी|
आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा|
व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........
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