क्या होता है उभयचरी योग? व कैसे होते है उभयचरी योग में उतपन्न जातक? व क्यों फलित नही होता है उभयचरी योग?
क्या होता है उभयचरी
योग?
चन्द्रमा को छोड़ कर
यदि कोई अन्य ग्रह सूर्य से दूसरे व बारहवे भावो में स्थित हो तो उभयचरी योग बनता है|
कैसे होते है उभयचरी योग में
उतपन्न जातक?
उभयचरी योग में उतपन्न जातक राजा के समान अधिकार प्राप्त करता है|
उभयचरी योग में उतपन्न जातक सम्मानित होते है|
उभयचरी योग में उतपन्न जातक धनी होते है|
उभयचरी योग में उतपन्न जातक सुखी होते है|
क्यों फलित नही होता है उभयचरी योग?
चन्द्रमा को छोड़ कर
यदि कोई अन्य ग्रह सूर्य से दूसरे व बारहवे भावो में स्थित हो तो उभयचरी योग बनता
है, अब इस यहा तीन
कारक ग्रह बनते है पहला सूर्य व दूसरा चन्द्रमा के अतिरिक्त दूसरे भाव में स्थित ग्रह
व तीसरा चन्द्रमा के अतिरिक्त बारहवे भाव में स्थित ग्रह तो निम्न कारणों से जातक
को उभयचरी योग कभी फलित नही होगा-
यदि सूर्य
षष्ठ या अष्टम या व्यय भाव का स्वामी हो तो भी जातक को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण
फल नही देगा|
राहु या
केतु सूर्य से दूसरे या बारहवे
भाव में स्थित हो तो भी जातक
को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा, क्युकी- राहु व केतु दोनों ही सूर्य के
शत्रु होते है व दोनों ही छाया ग्रह होते है|
यदि सूर्य से बारहवे भाव में स्थित ग्रह षष्ठ या अष्टम या व्यय भाव का स्वामी हो
तो भी जातक को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि सूर्य से दूसरे भाव में स्थित ग्रह षष्ठ या अष्टम या व्यय भाव का स्वामी हो
तो भी जातक को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
सूर्य
पूर्ण बली न हो अर्थात वो बाल अवस्था,
वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था का हो तो भी जातक को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
सूर्य से दूसरे भाव
में स्थित ग्रह
पूर्ण बली न हो अर्थात वो बाल अवस्था,
वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था का हो तो भी जातक को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
सूर्य से बारहवे भाव
में स्थित ग्रह
पूर्ण बली न हो अर्थात वो बाल अवस्था,
वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था का हो तो भी जातक को उभयचरी योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी
अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें
जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए
जुड़े रहिएगा..........
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