क्या होता है मृति
योग? व कैसे होते है मृति योग में उतपन्न जातक? व क्यों फलित नही होता है मृति योग?
क्या होता है मृति
योग?
तृतीय
भाव पाप ग्रह से युत हो या दृष्ट हो व तृतीयेश षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव में हो तो मृति योग होता है|
कैसे होते है मृति
योग
में उतपन्न जातक?
मृति योग में उत्पन्न जातक शत्रु वर्ग से पराभूत होता है|
मृति योग में उत्पन्न जातक सहोदरों से हीन होता है|
मृति योग में उत्पन्न जातक निर्बल होता है|
मृति योग में उत्पन्न जातक निर्लल्ज होता है|
मृति योग में उत्पन्न जातक निर्धन होता है|
मृति योग में उत्पन्न जातक अकरणीय
कार्यो से परिश्रान्त दुर्गुणों का आश्रय होता है|
क्यों फलित नही होता है मृति
योग?
तृतीय
भाव पाप ग्रह से युत हो या दृष्ट हो व तृतीयेश षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव में हो तो मृति योग होता है अब यहा मृति योग के तीन कारक ग्रह बनते है पहला तृतीय भाव में स्थित ग्रह, तृतीय भाव को देखने वाला ग्रह व
तृतीय भाव का स्वामी ग्रह तो
निम्न कारणों से मृति योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा—
यदि तृतीयेश षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव के
अतिरिक्त किसी अन्य भाव हो तो भी जातक को मृति योग कभी अपना
पूर्ण फल नही देगा|
यदि तृतीय भाव का स्वामी ग्रह बालावस्था, वृद्ध मृतिस्था या मृत मृतिस्था
में हो तो भी जातक को मृति योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि तृतीय भाव में स्थित ग्रह बालावस्था, वृद्ध मृतिस्था या मृत मृतिस्था
में हो तो भी जातक को मृति योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि तृतीय भाव को देखने वाला ग्रह बालावस्था, वृद्ध मृतिस्था या मृत मृतिस्था
में हो तो भी जातक को मृति योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी
अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें
जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए
जुड़े रहिएगा..........
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