क्या-क्या होता है सूर्य ग्रह का प्रभाव? कैसे होते है सूर्य ग्रह से प्रभावित व्यक्ति?
पर्यायनाम :-
Sun, रवि, सूर्य, हेली, भानुमान, दीप्तरश्मि, विकर्तन, भास्कर,
इन, अह्स्कर, तपन, पूषा, अरुण, अर्क, वनजवनपति, दिनमणि, नलिनीविलासी, दिवाकर,
उष्णरश्मि, प्रभाकर, विभावसु, तीक्ष्णरश्मि, नग, नभेश्वर, चंडभानु, चित्ररथ,
चंडदीक्षित इत्यादि|
सूर्य को पाप ग्रह कहते है|
सूर्य कालपुरुष की आत्मा है|
सूर्य से लाली गोराई का बोध होता है|
सूर्य पूर्व दिशा का स्वामी और पुरुष ग्रह कहलाता है|
सूर्य प्रकृति में पित का बोध कराता है! सूर्य शुष्क ग्रह है|
सूर्य का रक्तवर्ण है|
सूर्य आत्मा, स्वभाव, आरोग्यता, राज्य और देवालय का सूचक व पितृकारक है|
सूर्य का नेत्र, कलेजा, मेरुदण्ड और स्नायु आदि अवयवो पर विशेष प्रभाव पड़ता है|
सूर्य लग्न से सप्तम स्थान में बली माना गया है|
सूर्य मकर से छह राशि तक यह चेष्टाबली है|
सूर्य से शारीरिक रोग सिरदर्द, अपचन, क्षय, महाज्वर, अतिसार, मन्दाग्नि,
नेत्रविकार, मानसिक रोग, उदासीनता, खेद, अपमान एवं कलह आदि का विचार किया जाता है|
सूर्य सतोगुणी स्वभाव वाला है|
सूर्य का कटु स्वाद है|
सूर्य दक्षिण दिशा में बली है|
सूर्य दृढ इच्छा
शक्ति वाले पद का प्रतीक है |
सूर्य से प्रभावित दार्शनिक है|
सूर्य से प्रभावित व्यक्ति पूंजी उधार देने वाले है|
सूर्य में रोगों से बचाने की
शक्ति है|
सूर्य से अंह,
सहानुभूति, प्रभाव व यश देखा जाता है|
सूर्य पराक्रम का कारक है|
स्वरूप :
चतुरस्र आकार ( लम्बाई व चौड़ाई में बराबर ), कुछ ऊँचे शरीर वाला
परन्तु बहुत ऊँचा नही, थोड़े केश वाला, दृढ अस्थि वाला, शूरवीर, मधु के समान पिंगल
दृष्टि, लाल और कृष्ण वर्ण से युक्त तथा स्थूलकाय है|
विचारणीय विषय :
पिता के शुभफल, जातक के स्वयं के सुख, प्रताप, धैर्य, शौर्य, युद्ध में विजय,
राजसेवा, ज्ञान, शिवभक्ति, वन एवं पर्वतीय प्रदेश की यात्रा, हवन, यज्ञादि कार्य
में प्रवृति, देवालय आदि का निर्माण, स्वभावगत तीक्ष्णता और उत्साह आदि का विचार
सूर्य से करना चाहिए|
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी! आपको ये जानकारी कैसी लगी
इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा! व आगे इसी तरह की ज्योतिष
की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........
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