क्या क्या होता है शनि ग्रह का प्रभाव? कैसे होते है शनि ग्रह से प्रभावित व्यक्ति?
पर्यायनाम :-
Saturn, नील, सौरि, अर्कपुत्र, पंगु, यम, सूर्यपुत्र, सूर्यसुनु, शनैश्चर, मांदि,
छायात्मज, मंद, कोण, आर्कि, असित, भास्करी व रविज इत्यादि |
शनि तुला राशि में उच्च का होता है|
शनि मेष राशि में नीच का होता है|
शनि कुम्भ राशि 00° से 20° में मूल त्रिकोण का होता है|
शनि पश्चिम दिशा का
स्वामी होता है|
शनि अशुभ ग्रह है|
शनि मंद गति ग्रह है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति मेहनत वाले कार्य करने वाले होते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति चारदीवारी
में बन्द रहना पसंद होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति कर्मचारी
व सेवक होते है व नौकरियां करना इनको
पसंद होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति
विज्ञान तथा तकनीकी शिक्षा का कार्य करते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति बिस्तर
पर पड़े रहना पसंद होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति को चोरी व क्रूर कार्य करना पसंद होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति को अनैतिक तथा अधार्मिक कार्य करना पसंद होता है|
शनि आयु का कारक होता है|
शनि दुःख का कारक होता है|
शनि रोग का कारक होता है|
शनि मृत्यु का कारक होता है|
शनि संकट का कारक होता है|
शनि अनादर व गरीबी का कारक होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति कृषीय
व्यवसाय, लोहा, तेल व खनिज पदार्थ का व्यवसाय करने वाले होते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति लोभी व
लालची होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति के रूखे–सूखे बाल, लम्बे बड़े अंग, बड़े दांत तथा वृद्ध शरीर होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति काले
रंग का दिखने वाला होता है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति सांसारिक कार्यों
में तथ्यों और आंकड़ो का प्रयोग करते है |
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति की सन्गठन क्षमता उतम
होती है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति कठिनाई में भी किसी
से सहायता के लिए नहीं कहते है अर्थात की ये मतलबी अधिक होते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति उच्च और सामजिक पदों
के लिए उपयुक्त होते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति नवागंतुकों के साथ
मित्रता में शिथिल रहते है पर पुराने मित्रो से अच्छे संबंध होते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति की प्रेम प्रसंग में
रूचि कम होती है पर परिवार और प्रियजनों की उतम देखभाल करते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति विपरीत लिंग के
व्यक्तियों से बातचीत में शिथिल और अति सावधान रहते है|
शनि
से प्रभावित
व्यक्ति का प्रेमी अगर वासनाप्रिय
हो तो वह असंतुष्ट होता है|
पदार्थ :
लोहा, काले चने, भांग, तेल, पेट्रोल, कोयला व केरोसिन
इत्यादि |
रोग :
सारे पुराने लाइलाज रोग, दांत, सांस, क्षय, वातज, गुदा के रोग,
जख्म, जोड़ो के दर्द आदि|
धातु :
लोहा व पंच धातु |
रत्न :
नीलम |
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी
अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें
जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए
जुड़े रहिएगा..........
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