Sunday, October 14, 2018

क्या होता है कुसुम योग? व कैसे होते है कुसुम योग में उतपन्न जातक? व क्यों फलित नही होता है कुसुम योग?

क्या होता है कुसुम योग? व कैसे होते है कुसुम योग में उतपन्न जातक? व क्यों फलित नही होता है कुसुम योग?

क्या होता है कुसुम योग?

जब शुक्र स्थिर राशि में हो के केन्द्र में बैठा हो व चन्द्रमा शुभ ग्रह के साथ पंचम भाव में बैठा हो व शनि दशम भाव में बैठा हो तो कुसुम योग होता है|

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कैसे होते है कुसुम योग में उतपन्न जातक?
कुसुम योग में उत्पन्न जातक बड़े दाता होते है|
कुसुम योग में उत्पन्न जातक राजपुज्य होते है|
कुसुम योग में उत्पन्न जातक भोग भोगने वाले होते है|
कुसुम योग में उत्पन्न जातक प्रसिद्धी प्राप्त करते है|

क्यों फलित नही होता है कुसुम योग?
जब शुक्र स्थिर राशि में हो के केन्द्र में बैठा हो व चन्द्रमा शुभ ग्रह के साथ पंचम भाव में बैठा हो व शनि दशम भाव में बैठा हो तो कुसुम योग होता है, यहा अब कुसुम योग के तीन कारक ग्रह बनते है पहला शुक्र, दूसरा चन्द्रमा व शुभ ग्रह जो चन्द्रमा के साथ बैठा हो व तीसरा शनि| तो निम्न कारणों से कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा
यदि चन्द्रमा षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि शनि षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि शुक्र षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि चन्द्रमा के साथ बैठा ग्रह षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि शुक्र बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि चन्द्रमा बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि चन्द्रमा के साथ वाला शुभ ग्रह भी बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि शनि बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

यदि चन्द्रमा षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

चन्द्रमा पूर्ण बली न हो अर्थात वो कृष्ण पक्ष की षष्टमी तिथि से शुक्ल पक्ष के षष्टमी तिथि के बीच का हो तो भी जातक को कुसुम योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|

मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........


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