Thursday, October 4, 2018

क्या होती है नैसर्गिक मैत्री? व क्या होती है तत्कालिक मैत्री? व क्या होती है पंचधा मैत्री?

क्या होती है नैसर्गिक मैत्री? व क्या होती है तत्कालिक मैत्री? व क्या होती है पंचधा मैत्री?

क्या होती है नैसर्गिक मैत्री?
हमारे सौरमंडल के सभी 9 ग्रह आपस में मित्र या शत्रु या सम होते है जिसको हम निसर्ग मैत्री कहते है|
निसर्ग ग्रह मैत्री
ग्रह
मित्र ग्रह
शत्रु ग्रह
सम ग्रह
सूर्य
चंद्रमा, मंगल, गुरु
शुक्र, शनि, राहु, केतु
बुध
चंद्रमा
सूर्य, बुध
राहु, केतु
मंगल, गुरु, शुक्र, शनि
मंगल
सूर्य, चंद्रमा, गुरु
बुध, राहु, केतु
शुक्र, शनि
बुध
सूर्य, शुक्र, राहु, केतु
चंद्रमा,
मंगल, गुरु, शनि
गुरु
सूर्य, चंद्रमा, मंगल,
बुध, शुक्र
शनि, राहु, केतु
शुक्र
बुध, शनि, राहु, केतु
सूर्य, चंद्रमा,
मंगल, गुरु
शनि
बुध, शुक्र, राहु, केतु
सूर्य, चंद्रमा, मंगल
गुरु
राहु
बुध, शुक्र, शनि, केतु
सूर्य, चंद्रमा, मंगल
गुरु
केतु
बुध, शुक्र, शनि, राहु
सूर्य, चंद्रमा, मंगल
गुरु

क्या होती है तत्कालिक मैत्री?
कुण्डली में जो ग्रह जिस भाव में बैठता है उसके अनुसार तत्कालिक मैत्री देखी जाती है|
तत्कालिक ग्रहों की मैत्री विचार करते समय में जिस ग्रह की बाकि ग्रहों से मित्रता देखनी है उस ग्रह से 
2, 3, 4, 10, 11 एवं 12वे भाव के ग्रहों के साथ मित्रता करता है|
1, 5, 6, 7, 8, 9वे भाव के ग्रहों के साथ शत्रु भाव रखता है|

क्या होती है पंचधा मैत्री?
नैसर्गिक मैत्री व तात्कालिक मैत्री को देखते हुए जो जातक की कुण्डली के लिए ग्रहों की मित्रता सारणी बनाई जाती है उसे पंचधा मैत्री कहते है|   
तत्कालिक मैत्री एवं निसर्ग मैत्री निकालने के बाद निम्न नियमानुसार पंचधा-मैत्री निकालते है|
पंचधा मैत्री
मित्र + मित्र
अतिमित्र
शत्रु + शत्रु
अतिशत्रु
मित्र + सम
मित्र
शत्रु + सम
शत्रु
शत्रु + मित्र
सम
                         
उदाहरण के लिए :- यदि जन्म चक्र निम्न हो तो--
Grah-Maitri

सूर्य कि मैत्री निकालने के लिए सर्व प्रथम सूर्य कि निसर्ग ग्रह मैत्री देखते है उसके बाद तत्कालिक मैत्री निकालते है फिर पंचधा मैत्री से ग्रह मैत्री निकाल लेते है जैसे उपरोक्त कुण्डली में सूर्य कि तत्कालिक मैत्री सारणी बनाने पर सूर्य से चंद्रमा 6थे स्थान पर है जो कि शत्रु भाव रखता है इसी प्रकार मंगल सूर्य से 2रे स्थान में है जो कि मित्र भाव रखता है, बुध सूर्य से 1ले स्थान पर शत्रु भाव में है, गुरु सूर्य से 11वे स्थान में है जो कि मित्र भाव रखता है, शुक्र सूर्य से 1ले स्थान में है जो कि शत्रु भाव में है, शनि सूर्य से 6थे स्थान पर है जो कि शत्रु भाव रखता है, राहु सूर्य से 10वे स्थान में है जो कि मित्र भाव रखता है, केतु सूर्य से 4थे स्थान में है जो कि मित्र भाव रखता है|
सूर्य की तत्कालिक मैत्री सारणी निम्न है :-
ग्रह
मित्र भाव
शत्रु भाव
सूर्य
मंगल, गुरु, राहु, केतु
चंद्रमा, बुध, शुक्र, शनि

सूर्य की नैसर्गिक मैत्री सारणी निम्न है :-
ग्रह
मित्र ग्रह
शत्रु ग्रह
सम ग्रह
सूर्य
चंद्रमा, मंगल, गुरु
शुक्र, शनि, राहु, केतु
बुध

अब इन दोनों सारणी से पंचधा मैत्री सारणी सूर्य की बनाने पर चंद्रमा शत्रु+मित्र=सम में जाएगा, मंगल मित्र+मित्र=अधिमित्राणि में जाएगा, बुध शत्रु+सम=शत्रु में जाएगा, गुरु मित्र+मित्र=अधिमित्राणि में जाएगा, शुक्र शत्रु+शत्रु=अधिशत्रु में जाएगा, शनि शत्रु+शत्रु=अधिशत्रु में जाएगा, राहु शत्रु+मित्र=सम में जाएगा और केतु शत्रु+मित्र=सम में जाएगा अतः सारणी निम्न बनेगी :-
ग्रह\मैत्री
अधिमित्राणि
मित्राणि
सम
शत्रु
अधिशत्रु
सूर्य
मंगल, गुरु

केतु, राहु, चंद्रमा
बुध
शुक्र, शनि

इसी प्रकार अन्य ग्रहों की भी पंचधा मैत्री सारणी बना लेते है जो की इस प्रकार है :-
ग्रह\मैत्री
अधिमित्राणि
मित्राणि
सम
शत्रु
अधिशत्रु
सूर्य
मंगल, गुरु

केतु, राहु, चंद्रमा
बुध
शुक्र, शनि
चंद्रमा


सूर्य, बुध, केतु
मंगल, गुरु, शुक्र, शनि
राहु
मंगल
सूर्य, गुरु
शुक्र
चंद्रमा, बुध, केतु
शनि
राहु
बुध
राहु, केतु
मंगल, गुरु
सूर्य, शुक्र
शनि
चंद्रमा
गुरु
सूर्य, मंगल
राहु
चंद्रमा, बुध, शुक्र
शनि, केतु

शुक्र
राहु, केतु
मंगल, गुरु
बुध, शनि

सूर्य, चंद्रमा
शनि
केतु

बुध, शुक्र, राहु
गुरु
सूर्य, चंद्रमा, मंगल
राहु
बुध, शुक्र
गुरु
सूर्य, शनि, केतु

चंद्रमा, मंगल
केतु
बुध, शुक्र, शनि

सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु
गुरु


मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........

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