क्या होता है महायोग? व कैसे होते है महायोग में उतपन्न जातक? व क्यों फलित नही होता है महायोग?
क्या होता है महायोग?
लग्न से प्रारम्भ कर द्धादश भाव पर्यन्त दो भावेशों में परस्पर
व्यत्यय सम्बन्ध से कुल 66 योग बनते है| जिनमे
से तृतीय, षष्ठ, अष्टम और बारहवें भाव के स्वामियों के योग के अतिरिक्त 28 योग महायोग कहलाते
है|
(1) लग्नेश और दितीयेश में व्यत्यय
(2) लग्नेश और चतुर्थेश में व्यत्यय
(3) लग्नेश और पंचमेश में व्यत्यय
(4) लग्नेश और सप्तमेश में व्यत्यय
(5) लग्नेश और नवमेश में व्यत्यय
(6) लग्नेश और दशमेश में व्यत्यय
(7) लग्नेश और एकादशेश में व्यत्यय
(8) दितीयेश और चतुर्थेश में
व्यत्यय
(9) दितीयेश और पंचमेश में व्यत्यय
(10) दितीयेश और सप्तमेश में व्यत्यय
(11) दितीयेश और नवमेश में व्यत्यय
(12) दितीयेश और दशमेश में
व्यत्यय
(13) दितीयेश और एकादशेश में व्यत्यय
(14) चतुर्थेश और पंचमेश में
व्यत्यय
(15) चतुर्थेश और सप्तमेश में
व्यत्यय
(16) चतुर्थेश और नवमेश में
व्यत्यय
(17) चतुर्थेश और दशमेश में व्यत्यय
(18) चतुर्थेश और एकादशेश में व्यत्यय
(19) पंचमेश और सप्तमेश में
व्यत्यय
(20) पंचमेश और नवमेश में व्यत्यय
(21) पंचमेश और दशमेश में
व्यत्यय
(22) पंचमेश और एकादशेश में
व्यत्यय
(23) सप्तमेश और नवमेश में
व्यत्यय
(24) सप्तमेश और दशमेश में व्यत्यय
(25) सप्तमेश और एकादशेश में व्यत्यय
(26) नवमेश और दशमेश में व्यत्यय
(27) नवमेश और एकादशेश में व्यत्यय
(28) दशमेश और एकादशेश में व्यत्यय
इन 28
योगो को महायोग कहते है|
कैसे होते है महायोग में उतपन्न जातक?
महायोग में उतपन्न जातक पर
स्थाई रूप से लक्ष्मी की कृपा होती है|
महायोग में उतपन्न जातक समूह के
स्वामी
होते है|
महायोग में उतपन्न जातक धन-धान्य
से पूर्ण होते है|
महायोग में उतपन्न जातक सुन्दर
वस्त्र-स्वर्णाभूषण से सम्पन्न होते है|
महायोग में उतपन्न जातक राजकृपा
से सम्मानित होते है|
महायोग में उतपन्न जातक वाहन
सुख प्राप्त करते है|
क्यों फलित नही होता है महायोग?
महायोग के प्रमुख कारक तृतीय, षष्ठ, अष्टम
और बारहवें भाव के स्वामियों के योग के अतिरिक्त भाव वाले ग्रह होते है तो निम्न कारणों से महायोग अपना पूर्ण फल नही देगा—
यदि योग होने वाले भाव का स्वामी ग्रह बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था
में हो तो भी जातक को महायोग कभी
अपना पूर्ण फल नही देगा|
योग
होने वाले भाव सम्बन्ध बना हुआ
यदि षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव में हो तो भी जातक को महायोग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी
अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में
हमें जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए
जुड़े रहिएगा..........
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