क्या होता है खल योग? व कैसे होते है खल योग में उतपन्न जातक? व क्यों फलित नही होता है खल
योग?
क्या होता है खल योग?
लग्न से प्रारम्भ कर
द्वादश भाव पर्यन्त दो भावेशों में परस्पर व्यत्यय सम्बन्ध से कुल 66
योग बनते है| जिनमे
से आठ योग तृतीयेश के योग से बनते है, इन्हें खल योग कहते है| तृतीय भाव से
द्वादशेश, अष्टमेश, षष्ठेश एवं तृतीयेश के अतिरिक्त शेष भावेशो के साथ आठ प्रकार
के सम्बन्ध होते है –
(1) तृतीयेश
और लग्नेश में व्यत्यय
(2) तृतीयेश
और द्वितीयेश में व्यत्यय
(3) तृतीयेश
और चतुर्थेश में व्यत्यय
(4) तृतीयेश
और पंचमेश में व्यत्यय
(5) तृतीयेश
और सप्तमेश में व्यत्यय
(6) तृतीयेश
और नवमेश में व्यत्यय
(7) तृतीयेश
और दशमेश में व्यत्यय
(8) तृतीयेश
और एकादशेश में व्यत्यय
इन 8 योगों को खल योग कहते है|
कैसे होते है खल योग में उतपन्न जातक?
खल योग में उतपन्न जातक व्यक्ति
उद्धत स्वभाव का होता है|
खल योग में उतपन्न जातक कुमार्गगामी होते है|
खल योग में उतपन्न जातक करूष
वाकू
होते है|
खल योग में उतपन्न जातक द्रारीद्रय होते है|
खल योग में उतपन्न जातक पीड़ित होते है|
खल योग में उतपन्न जातक कभी
सन्मार्ग का अनुसरण करने वाले होते है|
खल योग में उतपन्न जातक कभी
मिष्टभाषी होते है|
खल योग में उतपन्न जातक कभी
सौभाग्य का भोग करने वाला होता है|
तात्पर्य यह है कि
खल योग में उत्पन्न व्यक्ति शुभाशुभ कर्मा का सम्मिश्रण होता है| अशुभ फल की
अधिकता के कारण ही इसे खल योग कहते है |
क्यों फलित नही होता है खल योग?
खल योग के प्रमुख
कारक तृतीयेश व जिसका सम्बन्ध तृतीयेश से होगा वही बनेगा तो निम्न कारणों से खल
योग अपना पूर्ण फल नही देगा—
यदि तृतीय भाव का स्वामी ग्रह बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था
में हो तो भी जातक को खल योग कभी अपना
पूर्ण फल नही देगा|
तृतीयेश से जिस भाव
का सम्बन्ध होगा वह ग्रह यदि बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को खल योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
तृतीयेश के साथ
सम्बन्ध बना हुआ यदि षष्ठ भाव या अष्टम भाव या व्यय भाव में हो तो भी जातक को खल योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी
अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में
हमें जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए
जुड़े रहिएगा..........
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