आइये जानते है विस्तार से क्यू होता है सबका अलग अलग भाग्य?
जैसा की मैंने अपने
पिछले ब्लॉग में बताया था की इन्सान का भाग्य किन किन चीजों पे निर्भर करता है जो
की ब्लॉग था “आखिर क्यू एक ही वक्त पे जन्म लेने वालो का भाग्य अलग होता है?” तो
आइये जानते है विस्तार से क्यू होता है सबका अलग अलग भाग्य?
कुंडली बनाते समय
सबसे पहले तीन चीज़े महत्वपूर्ण है जो की निम्न है –
- उसका जन्मदिन
- जन्म का समय
- जन्म का स्थान
तो जानते है इन तीनो
का उपयोग करके कैसे बनती है-कुंडली
कुंडली बनाने के लिए
जरूरत होती है दैनिक पंचांग की जिसमे होती है निम्न चीज़े 1 तिथि 2 वार 3 नक्षत्र 4 योग 4 करण व 5 ग्रहों की दैनिक स्थिति अर्थात सबसे महत्वपूर्ण होता है पंचांग!
किसी भी इन्सान की
कुंडली एक नियत दिन व समय में बनाई जाती है उस दिन में क्या तिथि थी? क्या वार था?
क्या नक्षत्र था? क्या योग था? क्या करण था? व कौन कौन से ग्रह किस किस राशी में
किस अंश किस कला किस विकला में थे! इन सबका उपयोग करके लग्न बनाया जाता है व सभी
ग्रहों को उनकी राशी में स्थापित किया जाता है जिसे लग्न चक्र कहते है! नक्षत्र का
उपयोग कर के महादशा निकाली जाती है!
इसी लग्न से व महादशा
से लोगो का भाग्य देखा जाता है! इसके बाद आता है षोडश वर्ग जो की बहुत से सूक्ष्म
रूप से भाग्य व बाकि चीजों को देखने के काम आता है! जिसके बारे में विस्तार से
बताया जाएगा! लग्न चक्र लगभग 2 घंटे तक सामान होता है, तो क्या उन सभी के भाग्य एक सामान
होंगे? ये असम्भव है!
तो आइये जानते है
विस्तार से क्यू होता है सबका अलग अलग भाग्य?
सभी का जन्मस्थान
अलग अलग होता है जो की हम आक्षांश रेखांश से देखते है जैसे की किसी का जन्म
वाराणसी शहर में हुआ होगा तो वाराणसी का आक्षांश 25.20 रेखांश 83.00 है जो की वो मध्य वाराणसी का है यदि किसी का जन्म
वाराणसी के दक्षिण में हुआ होगा तो वही आक्षांश 25.20 रेखांश 83.00 में कुछ दशमलव के अंको में अंतर आएगा जिसके
प्रभाव से ही सभी की कुंडली में कुछ अंतर होगा कभी ऐसा नही हो सकता है की एक ही स्थान
पे एक ही वक्त पे दो बच्चो का जन्म हो, परन्तु ऐसा सम्भव इस तरह भी हो सकता है की
यदि एक ही हॉस्पिटल के ग्राउंड तल पे एक बच्चा जन्म ले ठीक उसी स्थान में पहले तल
पे दूसरा बच्चा जन्म ले तब ये बात संभव लगती है!
तब आइये जानते है
विस्तार से क्यू होता है सबका अलग अलग भाग्य?
हर इन्सान पे ग्रहों
का प्रभाव पड़ता है जिनकी दुरी पृथ्वी के अक्षांश रेखांश से नापी जाती है अब ये तो
समझ आ गया की एक ही अक्षांश रेखांश पे किन्ही दो व्यक्तियों का जन्म नही हो सकता
है!
अब बात करते है एक ही
हॉस्पिटल के ग्राउंड तल पे एक बच्चा जन्म ले ठीक उसी स्थान में पहले तल पे दूसरा
बच्चा जन्म ले तब अर्थात हमारा अक्षांश रेखांश हो गया सामान लेकिन हमें जो भूतल व
प्रथम तल की दुरी है १० फुट या जीतने भी फुट उसे कैसे भूल गए वो दुरी भी तो अंतर
उत्पन्न करती है जिसके कारण आता है भाग्य में अंतर!
मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी! आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा! व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........
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Very NYC bro
ReplyDeleteNice
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