Monday, September 10, 2018

आज हम बताएँगे क्या होता है गजकेसरी योग? व क्यू फल नही देता है गजकेसरी योग?


आज हम बताएँगे क्या होता है गजकेसरी योग? व क्यू फल नही देता है गजकेसरी योग?

बहुत से लोग कहते है की उनकी कुंडली में गजकेसरी योग है फिर भी उनको कोई लाभ नही मिल रहा है वो परेशान ही रहते है तो आखिर ऐसा क्या है गजकेसरी योग में व कैसे बनता है गजकेसरी योग व क्यू लोगो को फल नही मिलता है, तो आज हम बताएँगे क्या होता है गजकेसरी योग व क्यू फल नही देता है गजकेसरी योग?

क्या होता है गजकेसरी योग?
गजकेसरी योग मुख्य रूप से गुरु व चन्द्रमा की युति से बनता है, मैंने अपनी पिछली पोस्ट “आज हम बताएँगे केमुद्रुम योग के बारे में| क्यू ये योग सबसेखराब होता है? क्या है इसके दुष्परिणाम? व कैसे होता है केमुद्रुम भंग योग?” में चन्द्रमा के प्रभाव को पूर्ण रूप से समझाया है उसे देखे|
Gajkeshri-Yog
जैसा की विदित है गजकेसरी योग के बारे में यदि गुरु चन्द्रमा से केन्द्र ( गुरु चन्द्रमा के साथ में हो, गुरु चन्द्रमा से चतुर्थ में हो, गुरु चन्द्रमा से सप्तम में हो, गुरु चन्द्रमा से दशम में हो ) में स्थित हो तो गजकेसरी योग बनता है| बहुत से ज्योतिषाचार्य केवल लग्न से ही केन्द्र में ये गुरु चन्द्रमा की उक्त युति को ही गजकेसरी योग कहते है, इसमें चन्द्रमा अपनी नीच राशी ( वृश्चिक ) में या अस्त न हो तब ही फलित होता है ये योग|

गजकेसरी योग में जन्मा जातक महान कार्य करने वाला, धनी, मेधावी, गुणी, वाक्पटुता वाला व राजा द्वारा सम्मानित होता है| 

क्यू फल नही देता है गजकेसरी योग?
बहुत से लोग कहते है की मेरी कुंडली में गजकेसरी योग है लेकिन मेरे साथ कुछ भी अच्छा नही हो रहा है तो ऐसा क्या है जिसके कारण से यह गजकेसरी योग योग फल नही दे रहा है| आइए जानते है क्यू फल नही देता है गजकेसरी योग?

जैसा की मैंने अपने पिछले ब्लॉग “आज हम बताएँगे किस किस भाव को किस किस नाम से जाना जाता है| में बताया था कि कौन सा भाव किस तरह का होता है अर्थात अच्छा या बुरा उसी तरह से यदि गुरु चन्द्रमा की उक्त युति किसी बुरे भाव में हो जैसे षष्ठ भाव में, अष्टम भाव में या व्यय भाव में हो तब क्या यह अच्छा फल देगा कभी भी नही|

इसी तरह से यदि कुंडली में चन्द्रमा षष्ठ भाव, अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तब क्या चन्द्रमा को आप शुभ मानेंगे कदापि नही तो भी यह गजकेसरी योग फलित नही होगा|

अब यदि गुरु षष्ठ भाव, अष्टम भाव या व्यय भाव का स्वामी हो तब क्या गुरु को आप शुभ मानेंगे कदापि नही तो भी यह गजकेसरी योग फलित नही होगा|
 
यदि गुरु या चन्द्रमा दोनों में से कोई भी कम बली हो (जैसे उसका अंश कला विकला कम हो) इसे हम अवस्था के रूप में देखते है यदि गुरु या चन्द्रमा दोनों में से किसी की भी अवस्था बाल वृद्ध या मृत हुई तो भी यह गजकेसरी योग फलित नही होगा|   


मै आशा करता हू की आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी| आपको ये जानकारी कैसी लगी इसके बारे में हमें जरुर बताइयेगा| व आगे इसी तरह की ज्योतिष की जानकारी के लिए जुड़े रहिएगा..........

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